भारतीय नदियों को दो भागों में बांटा जा सकता है-
- हिमालय की नदियाँ
- प्रायद्वीपीय भारत की नदियाँ
हिमालय की नदियाँ
सुविधा की दृष्टि से हिमालय की नदियों को तीन भागों में बांटा गया है।
- सिन्धु नदी तंत्र
- गंगा नदी तंत्र
- ब्रह्मपुत्र नदी तंत्र
- सिन्धु, सतलज और ब्रह्मपुत्र नदियाँ पूर्ववर्ती अर्थात हिमालय के निर्माण से पहले से बहती आ रही हैं।
- पूर्ववर्ती से आशय ये है कि यर तीनों नदियाँ हिमालय के उत्थान से भी पहले मानसरोवर झील से निकलकर टेथिस सागर में गिरती थीं।
- ये तीनों नदियाँ के हिमालय के निर्माण के साथ साथ अपनी घाटी को गहरा करती रहीं, परिणामस्वरूप इन्होने वृहत हिमालय में गहरी और संकरी घाटी का निर्माण कर दिया। जिसे गार्ज या कैनियन कहते हैं।
उदहारण के लिए – सिन्धु गार्ज (जम्मू कश्मीर में गिलगित के समीप), शिपकीला गार्ज(हिमाचल प्रदेश में सतलज नदी), दिहांग गार्ज (अरुणांचल प्रदेश में ब्रह्मपुत्र नदी)
- ये तीनों नदियाँ अन्तर्राष्ट्रीय नदी कहलाती हैं। अर्थात ये तीन देशों से होकर गुजरती हैं।
- सिन्धु नदी – चीन, भारत , पकिस्तान
- सतलज – चीन, भारत , पकिस्तान
- ब्रह्मपुत्र – चीन, भारत, बांग्लादेश
सिन्धु नदी तंत्र
- सिन्धु नदी तंत्र की मुख्य नदी सिन्धु है।
- सिन्धु नदी के बांये तट पर आकर मिलने वाली 6 प्रमुख नदियों का क्रम इस प्रकार है।
- झेलम
- चिनाब
- रावी
- व्यास
- सतलज
- सिन्धु नदी तंत्र में एकमात्र झेलम नदी जम्मू कश्मीर से निकल कर मिलती है।
- सिन्धु नदी तंत्र में मिलने वाली तीन प्रमुख सहायक नदी चिनाब, रावी और व्यास हिमाचल प्रदेश से निकलती हैं।
- सिन्धु नदी तंत्र की पांच प्रमुख सहायक नदी जो पंजाब में बहती हैं, पंचनद कहलाती हैं।
- ये पांचो प्रमुख सहायक नदियाँ सम्मिलित रूप से पकिस्तान के मिठानकोट में सिन्धु नदी के बांये तट पर अपना जल गिराती हैं।
नदी
उद्गम स्थल
सिन्धुतिब्बत के मानसरोवर के निकट चेमायुंगडुंग ग्लेशियर सेसतलजमानसरोवर के समीप राकसताल सेझेलमजम्मू कश्मीर में बेरीनाग के समीप शेषनाग झील सेचिनाबहिमाचल प्रदेश में बारालाचाला दर्रे के समीप सेरावी और व्यासहिमाचल प्रदेश के रोहतांग दर्रे के समीप से - इनमें से व्यास नदी सतलज नदी की सहायक नदी है। ये सिन्धु नदी तंत्र की एकमात्र नदी है जो पाकिस्तान में प्रवेश नहीं करती है।
- व्यास नदी पंजाब में कपूरथला के निकट हरिके नामक स्थान पर सतलज नदी से मिल जाती है।