List of Important Battles in Indian History : विभिन्न प्रतियोगी परिक्षाओं में इतिहास के विभिन्न टाॅपिक्स से प्रश्न पूछे जाते हैं। परीक्षा में बार बार भारतीय इतिहास में हुए युद्धों के बारे पूछा जाता है। आज के इस लेख में हम आपके लिए भारत के इतिहास में हुए कुछ बहुत ही महत्वपूर्ण युद्ध के बारे में इस आर्टिकल में बताने वाले है। जिससे आपके परीक्षा में काफी मदत मिलेगी।
List of Important Battles in Indian History | भारत के प्रमुख ऐतिहासिक युद्ध
हाईडेस्पीज का युद्ध (Battle of the Hydaspes)
- समय : 326 ई.पू.
- किसके बीच – सिकंदर और पंजाब के राजा पोरस के बीच हुआ, जिसमे सिकंदर की विजय हुई।
सिकंदर की सेना ने व्यास (विपासा) नदी से आगे बढ़ने से इंकार कर दिया वह भारत में लगभग 19 महीने (326 ईसवी पूर्व से 325 ईसवी पूर्व तक) रहा। इसे हाईडेस्पीज (Hydaspes) का युद्ध भी कहते हैं। मई 326 ईसा पूर्व में यह लड़ाई झेलम नदी के तट पर हुई सिकंदर महान की सेना हिंदू कुश के पहाड़ों को पार करती हुई भारत में पहुंच गयी।
कलिंग की लड़ाई (Kalinga War)
- समय : 261 ई.पू.
- किसके बीच – सम्राट अशोक ने कलिंग पर आक्रमण किया। युद्ध के रक्तपात को देखकर उसने युद्ध न करने की कसम खाई।
मौर्य सम्राट अशोक और कलिंग के राजा अनंत पद्मनाभन के बीच 261 ईo पूo लड़ा गया था। मौर्य साम्राज्य के प्रथम सम्राट और अशोक महान के दादा चन्द्रगुप्त मौर्य राज्य विस्तार के समय कलिंग पर हमला किया था लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। इसी का बदला लेने के लिए सम्राट अशोक ने कलिंग पर आक्रमण किया था।
सिंध की लड़ाई
- समय : 712 ई.
- किसके बीच – मोहम्मद बिन कासिम ने अरबों की सत्ता स्थापित की।
मुहम्मद बिन क़ासिम मिशन 712 में सिंध पर आक्रमण किया था जहां पर राजा दहिर सिंह ने उसे रोका और उसके साथ युद्ध लड़ा उनका शासन काल 663 से 712 ईसवी तक रहा उन्होंने अपने शासनकाल में अपने सिंध प्रांत को बहुत ही मजबूत बनाया परंतु अपने राष्ट्र और देश और मोहम्मद साहब के पारिवारिक हुसैन इब्न अली और अन्य लोगों ने इनसे शरण मांगी
तराईन का प्रथम युद्ध (Battles of Tarain)
- समय : 1191 ई.
- किसके बीच – मोहम्मद गौरी और पृथ्वी राज चौहान के बीच हुआ, जिसमे चौहान की विजय हुई।
1191 ईस्वी में बहादुर और निडर राजा पृथ्वीराज चौहान और मोहम्मद गौरी के बीच करीब 80 मील दूर सरहिंद किले के पास तराइन के मैदान में युद्ध हुआ। इसमें पृथ्वीराज चौहान ने अपनी गजब की नेतृत्व शक्ति का प्रदर्शन किया। पृथ्वीराज चौहान का नाम हमेशा भारत के साहसी पराक्रमी राजाओं में लिया जाता है।
तराईन का द्वितीय युद्ध (2nd Battles of Tarain)
- समय : 1192 ई.
- किसके बीच – मोहम्मद गौरी और पृथ्वी राज चौहान के बीच हुआ, जिसमे मोहम्मद गौरी की विजय हुई।
तराइन का द्वितीय युद्ध (1192 ई०) पृथ्वीराज चौहान द्वारा राजकुमारी संयोगिता का हरण करके इस प्रकार कन्नौज से ले जाना राजा जयचंद को बुरी तरह कचोट रहा था। उसके हृदय में अपमान के तीखे तीर से चुभ रहे थे। वह किसी भी कीमत पर पृथ्वीराज का विध्वंस चाहता था।
चंदावर का युद्ध (Battle of Chandawar)
- समय : 1194 ई.
- किसके बीच – इसमें मुहम्मद गौरी ने कन्नौज के राजा जयचंद को हराया।
चंदावर की लड़ाई 1194 में घोर के मुहम्मद और गढ़वाल वंश के जयचंद्र के बीच लड़ी गई थी। यह चंदावर (फिरोजाबाद के पास आधुनिक चंदावल) में, आगरा के करीब यमुना नदी पर हुआ था। इस लड़ाई की जीत ने मुहम्मद को उत्तर भारत के अधिकांश हिस्सों पर नियंत्रण कर दिया।
पानीपत का प्रथम युद्ध (First Battle of Panipat)
- समय : 1526 ई.
- किसके बीच – मुग़ल शासक बाबर और इब्राहीम लोधी के बीच।
सन् 1526 में काबुल के तैमूरी शासक ज़हीर उद्दीन मोहम्मद बाबर, की सेना ने दिल्ली के सुल्तान इब्राहिम लोधी की एक बहुत बड़ी सेना को युद्ध में परास्त किया। युद्ध 21 अप्रैल 1526 को पानीपत के निकट लड़ा गया था।
खानवा का युद्ध (Battle of Khanwa)
- समय : 1527 ई.
- किसके बीच – बाबर ने राणा सांगा को पराजित किया।
खानवा का युद्ध 16 मार्च 1527 को आगरा से 35 किमी दूर खानवा गाँव में बाबर एवं मेवाड़ के राणा सांगा के मध्य लड़ा गया। पानीपत के युद्ध के बाद बाबर द्वारा लड़ा गया यह दूसरा बड़ा युद्ध था ।
घाघरा का युद्ध (Battle of Ghagra)
- समय : 1529 ई.
- किसके बीच – बाबर ने महमूद लोदी के नेतृत्व में अफगानों को हराया।
अफगानों ने इब्राहिम लोदी के भाई महमूद लोदी के नेतृत्व में बिहार पर अधिकार कर लिया और बाबर के लिए एक मात्र विरोधी रह गया था। बाबर ने 06 मई, 1529 ई. को बंगाल एवं बिहार की संयुक्त सेना को घाघरा के युद्ध में कुचल डाला।
चौसा का युद्ध (Battle of Chausal)
- समय : 1539 ई.
- किसके बीच – शेरशाह सूरी ने हुमायु को हराया
चौसा की लड़ाई मुगल सम्राट हुमायूं और अफगान, शेरशाह सूरी के बीच एक उल्लेखनीय सैन्य लड़ाई थी। यह 26 जून 1539 को चौसा में ,बिहार में बक्सर 10 मील दक्षिण-पश्चिम में लड़ा गया था। शेर शाह विजयी हुआ था और खुद फरीद अल दीन शेर शाह का ताज पहना।
कन्नौज/बिलग्राम का युद्ध (Battle of Kanauj or Billgram)
- समय : 1540 ई.
- किसके बीच – एकबार फिर से शेरशाह सूरी ने हुमायूँ को हराया व भारत छोड़ने पर मजबूर किया।
न्नौज का युद्ध मई 1540 ईस्वी में हुमायूं और शेरशाह के बीच लड़ा गया था। इस लड़ाई ने मुग़लों और शेरशाह सूरी के बीच मामले का फैसला कर दिया। इस युद्ध के बाद बादशाह हुमायूं बिना राज्य का राजा था और काबुल तथा कंधार कामरान के हाथों में थे। कन्नौज के युद्ध को ‘बिलग्राम का युद्ध’ भी कहा जाता है।
पानीपत का द्वितीय युद्ध (Second Battle of Panipat)
- समय : 1556 ई.
- किसके बीच – अकबर और हेमू के बीच।
पानीपत का दूसरा युद्ध 5 नवम्बर 1556 को उत्तर भारत के हिंदू शासक सम्राट हेमचंद्र विक्रमादित्य (लोकप्रिय नाम- हेमू ) और अकबर की सेना के बीच पानीपत के मैदान में लड़ा गया था। अकबर के सेनापति खान जमान और बैरम खान के लिए यह एक निर्णायक जीत थी
तालिकोटा का युद्ध (Battle of Tallikota)
- समय : 1565 ई.
- किसके बीच – इस युद्ध से विजयनगर साम्राज्य का अंत हो गया।
तालिकोट का युद्ध(23 जनवरी 1565 ई. ), दक्कन के सल्तनतों और विजयनगर साम्राज्य के बीच लड़ा गया था। विजयनगर साम्राज्य की यह लडाई राक्षस-तांगड़ी नामक गावं के नजदीक लड़ी गयी थी। इस युद्ध में विजय नगर साम्राज्य को हार का सामना करना पड़ा।
हल्दीघाटी का युद्ध (Battle of Haldighati)
- समय : 1576 ई.
- किसके बीच – अकबर और राणा प्रताप के बीच, इसमें राणा प्रताप की हार हुई।
हल्दीघाटी का युद्ध 18 जून 1576 को मेवाड़ के महाराणा प्रताप का समर्थन करने वाले घुड़सवारों और धनुर्धारियों और मुगल सम्राट अकबर की सेना के बीच लडा गया था जिसका नेतृत्व आमेर के राजा मान सिंह प्रथम ने किया था। इस युद्ध में महाराणा प्रताप को मुख्य रूप से भील जनजाति का सहयोग मिला।
प्लासी का युद्ध (Battle of Plassey)
- समय : 1757 ई.
- किसके बीच – अंग्रेजो और सिराजुद्दौला के बीच, जिसमे अंग्रेजो की विजय हुई और भारत में अंग्रेजी शासन की नीव पड़ी।
प्लासी का पहला युद्ध 23 जून 1757 को मुर्शिदाबाद के दक्षिण में 22 मील दूर नदिया जिले में भागीरथी नदी के किनारे ‘प्लासी’ नामक स्थान में हुआ था। इस युद्ध में एक ओर ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना थी तो दूसरी ओर थी बंगाल के नवाब की सेना। कंपनी की सेना ने रॉबर्ट क्लाइव के नेतृत्व में नवाब सिराज़ुद्दौला को हरा दिया था।
वांडीवाश का युद्ध (Battle of Wandiwash)
- समय : 1760 ई.
- किसके बीच – अंग्रेजो और फ्रांसीसियो के बीच, जिसमे फ्रांसीसियो की हार हुई।
वांडीवाश का युद्ध ब्रिटिश तथा फ्रान्सीसी सेनाओं के बीच हुआ एक निर्णायक युद्ध था। इसमें फ्रान्सीसी सेना की हार हुई थी।
पानीपत का तृतीय युद्ध (Third Battle of Panipat)
- समय : 1761 ई.
- किसके बीच – अहमदशाह अब्दाली और मराठो के बीच, जिसमे मराठों की हार हुई।
इनमें से पानीपत का तीसरा युद्ध भारत के सैन्य इतिहास की एक क्रान्तिकारी घटना माना जाता है। यह युद्ध 14 जनवरी 1761 को अफगान लुटेरे अहमदशाह अब्दाली की फौज और सदाशिव राव भाऊ के नेतृत्व में मराठों के बीच लड़ा गया। इस युद्ध में लाखों मराठे खेत रहे और अहमद शाह अब्दाली विजेता बनकर उभरा।
बक्सर का युद्ध (Battle of Buxar)
- समय : 1764 ई.
- किसके बीच – अंग्रेजो और शुजाउद्दौला, मीर कासिम एवं शाह आलम द्वितीय की संयुक्त सेना के बीच, जिसमे अंग्रेजो की विजय हुई।
बक्सर का युद्ध 22/23 अक्टूबर 1764 में बक्सर नगर के आसपास ईस्ट इंडिया कंपनी के हैक्टर मुनरो और मुगल तथा नवाबों की सेनाओं के बीच लड़ा गया था। बंगाल के नबाब मीर कासिम, अवध के नबाब शुजाउद्दौला, तथा मुगल बादशाह शाह आलम द्वितीय की संयुक्त सेना अंग्रेज कम्पनी से लड़ रही थी
प्रथम आंग्ल मैसूर युद्ध
- समय : 1767-69 ई.
- समाप्त – मद्रास की संधि
- किसके बीच – हैदर अली और अंग्रेजो के बीच, जिसमे अंग्रेजो की हार हुई।
प्रथम मैसूर युद्ध अंग्रेजो और हैदर अली के बीच 1767 से 1769 ई. तक हुआ,जिसका कारण मद्रास में अंग्रेज़ों की आक्रामक नीतियाँ थीं। मैसूर राज्य वर्तमान कर्नाटक का राज्य था। मैसूर राज्य में चकियाँ कृ्ष्णराय नाम के शासक का राज्य था जो कि वोडियार वंश से था।
द्वितीय आंग्ल मैसूर युद्ध
- समय : 1780-84 ई.
- समाप्त – मंगलोर की संधि
- किसके बीच – हैदर अली और अंग्रेजो के बीच, जो अनिर्णित छूटा।
अंग्रेज़ों के इस विश्वासघात से हैदर अली को अत्यधिक क्षोभ हुआ था। उसका क्रोध उस समय और भी बढ़ गया, जब अंग्रेज़ों ने हैदर अली की राज्य सीमाओं के अंतर्गत ‘माही’ की फ़्राँसीसी बस्तीयों पर आक्रमण कर अधिकार कर लिया। उसने मराठा और निज़ाम के साथ 1780 ई. में ‘त्रिपक्षीय सन्धि’ कर ली, जिससे ‘द्वितीय मैसूर युद्ध’ प्रारंभ हो गया।
तृतीय आंग्ल मैसूर युद्ध
- समय : 1790-92 ई.
- समाप्त – श्रीरंगपट्टनम की संधि
- किसके बीच – टीपू सुल्तान और अंग्रेजो के बीच लड़ाई संधि के द्वारा समाप्त हुई।
तृतीय आंग्ल-मैसूर युद्ध यह मैसूर राज्य के शासक टीपू सुल्तान और ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच 1790 से 1792 के दौरान हुआ था। यह युद्ध आंग्ल-मैसूर युद्ध मालिका का तृतीय युद्ध था।
चतुर्थ आंग्ल मैसूर युद्ध
- समय : 1798-99 ई.
- किसके बीच – टीपू सुल्तान और अंग्रेजो के बीच, टीपू की हार हुई और मैसूर शक्ति का पतन हुआ।
चौथा आंग्ल-मैसूर युद्ध, 1798-99 में दक्षिण भारत में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी और हैदराबाद-दक्कन के खिलाफ मैसूर साम्राज्य के बीच एक संघर्ष था। यह आंग्ल-मैसूर के हुए युद्धों में चौथी और अंतिम लड़ाई थी। अंग्रेजों ने मैसूर की राजधानी पर कब्जा कर लिया। युद्ध में शासक टीपू सुल्तान की मौत हो गई।
चिलियानवाला युद्ध
- समय : 1849 ई.
- किसके बीच – ईस्ट इंडिया कंपनी और सिखों के बीच हुआ था जिसमे सिखों की हार हुई।
चिलियांवाला की लड़ाई 13 जनवरी, 1849 को दूसरे आंग्ल-सिख युद्ध के दौरान लड़ी गयी थी। इस लड़ाई में सिखों का नेतृत्व शेर सिंह ने किया था।
भारत चीन सीमा युद्ध 1962
- समय : 1962 ई.
- किसके बीच – चीनी सेना द्वारा भारत के सीमा क्षेत्रो पर आक्रमण। कुछ दिन तक युद्ध होने के बाद एकपक्षीय युद्ध विराम की घोषणा। भारत को अपनी सीमा के कुछ हिस्सों को छोड़ना पड़ा।
भारत और चीन के बीच युद्ध 20 अक्टूबर 1962 को शुरू हुआ, जिसके परिणामस्वरूप हजारों सैनिक शहीद हुए और भारत को हार का सामना करना पड़ा। इस युद्ध में चीन ने भारत के अक्साई चिन में लगभग 38,000 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र पर कब्जा कर लिया।
भारत पाक युद्ध 1965 (Indo-Pakistani War 1965)
- समय : 1965 ई.
- किसके बीच – भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध जिसमे पाकिस्तान की हार हुई। भारत पाकिस्तान के बीच शिमला समझौता हुआ।
वर्ष 1965 में दोनों देशों के बीच भीषण युद्ध हुआ और संयुक्त राष्ट्र की पहल पर 23 सितंबर के दिन युद्ध विराम हुआ। दोनों देशों के बीच यह लड़ाई मुख्य रूप से पैदल सेना और टैंक डिविजन के बीच लड़ी गई, लेकिन नौसेना ने भी अपना योगदान दिया। यह पहला मौका था जब दोनों देशों की वायु सेना जंग के मैदान में उतरी।
भारत पाक युद्ध 1971 (Indo-Pakistani War 1971)
- समय : 1971 ई.
- किसके बीच – भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध जिसमे पाकिस्तान की हार हुई। फलस्वरूप बांग्लादेश एक स्वतन्त्र देश बना।
16 दिसंबर 1971 (विजय दिवस) के बाद पूर्वी पाकिस्तान को बांग्लादेश का नाम दिया गया। इस लड़ाई में करीब 93 हजार पाकिस्तानी सैनिकों ने भारतीय सैनिकों के सामने सरेंडर कर दिया था। 1971 की भारत-पाकिस्तान की लड़ाई को आज भी स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाता है। पाकिस्तान ने भारत के सामने अपने 93,000 सैनिकों के साथ घुटने टेक दिए थे।
कारगिल युद्ध (Kargil War)
- समय : 1999 ई.
- किसके बीच – जम्मू एवं कश्मीर के द्रास और कारगिल क्षेत्रो में पाकिस्तानी घुसपैठियों के बीच।
8 हजार फीट की ऊंचाई पर कारगिल का यह युद्ध तकरीबन दो माह तक चला, जिसमें 527 वीर सैनिकों की शहादत देश को देनी पड़ी। 1300 से ज्यादा सैनिक इस जंग में घायल हुए। पाकिस्तान के लगभग 1000 से 1200 सैनिकों की इस जंग में मौत हुई। भारतीय सेना ने अदम्य साहस से जिस तरह कारगिल युद्ध में दुश्मन को खदेड़ा,
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