UPSSSC PET Hindi Practice Set-27: उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा प्रतिवर्ष प्रारंभिक अहर्ता परिक्षा का आयोजन किया जाता है। उत्तर प्रदेश में किसी भी समूह ग की भर्ती के लिए UPSSSC PET परिक्षा को पास करना अनिवार्य कर दिया गया है। ऐसे बड़ी संख्या में अभ्यर्थी इस परिक्षा के लिए तैयारी में लगे हुए हैं। आप की तैयारी के लिए ही हम यूपी पीईटी परिक्षा के लिए प्रैक्टिस सेट तैयार कर रहे हैं। इसलिये UPSSSC PET Hindi Practice Set-27 के रूप में लाये है
ये UP PET Hindi Practice Set in Hindi का 27वाँ भाग है। इस प्रैक्टिस सेट में गद्यांश पे आधारित कुल 10 प्रश्न दिये गये हैं। अगर आप UP PET Hindi Practice Set को हल करते हैं तो आप परिक्षा से पहले ही अपनी तैयारी को जाँच सकेंगे। ये सभी प्रश्न UPSSSC द्वारा पिछले वर्षों में करवाई गयी परिक्षा से लिए गये हैं।
इस quiz में आपको सही विकल्प को चुनने के बाद अंत में SUBMIT के बटन पे क्लिक करना है, उसके बाद सभी प्रश्न के उत्तर और आपका स्कोर आपके सामने आ जायेगा
UPSSSC PET Hindi Practice Set-27
निर्देश- नीचे दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़े और उस पर आधारित प्रश्नों के लिए दिए गए संभावित उत्तरों में से उपयुक्त उत्तर को चुनिए
गद्यांश
वैज्ञानिक प्रयोग की सफलता ने मनुष्य की बुद्धि का अपूर्व विकास कर दिया है। द्वितीय महायुद्ध में एटम बम की शक्ति ने कुछ क्षणों ही जापान की अजेय शक्ति को पराजित कर दिया। इस शक्ति की युद्धकालीन सफलता ने अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रान्स आदि सभी देशों को ऐसे शस्त्रास्त्रों के निमार्ण की प्रेरणा दी गई है कि सभी देशों को ऐसे शस्त्रस्त्रों के निमार्ण की प्रेरणा ही कि सभी भयंकर और सर्वविनाशकारी शस्त्र बनाने लगे। अब सेना को पराजित करने तथा शत्रु – देश पर पेदल सेना द्वारा आक्रमण करने के लिए शस्त्र – निमार्ण के स्थान पर देश के विनाश करने की दिशा में शस्त्रास्त्र बनने लगे हैं। इन हथियारों का प्रयोग होने पर शत्रु- देशों की अधिकांश जनता और संपत्ति थोड़े समय में ही नष्ट की जा सकेगी। चूंकि ऐसे शास्त्रास्त्र प्रायः सभी स्वतन्त्र देशों के संग्रहालयों में कुछ न कुछ आ गये हैं, अतः युद्ध की स्थिति में उनका प्रयोग भी अनिवार्य हो जायेगा | अतः दुनिया का सर्वनाश या अधिकांश नाश तो अवश्य हो ही जायेगा। इसलिए निःशस्त्रीकरण की योजनाएं बन रही हैं। शस्त्रास्त्रों के निर्माण में जो दिशा अपनाई गई, उसी के अनुसार आज इतने उन्नत शस्त्रास्त्र बन गये हैं, जिनके प्रयोग से व्यापक विनाश आसन्न दिखाई पड़ता है। अब भी परीक्षणों की रोकथाम तथा बने शस्त्रों के प्रयोग के रोकने के मार्ग खोजे जा रहे हैं। इन प्रयासों के मूल में एक भयंकर आतंक और विश्व विनाश का भय कार्य कर रहा है।