दिल्ली सल्तनत (भाग-1) : गुलाम वंश, कैसे हुआ इसका नामकरण

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दिल्ली सल्तनत का वास्तविक संस्थापक कौन?

  • इल्तुतमिश दिल्ली सल्तनत का वास्तविक संस्थापक था। इसका शासनकाल 1210-1236 तक था। इल्तुतमिश ने दिल्ली सल्तनत के स्थायित्व के लिए अनेक कार्य किये जैसे तुरकान-ए-चिहाएलगानी का गठन विरोधियों का दमन, नवीन प्रकार के सिक्कों का प्रारंभ इत्यादि था।
  • इश्वरी प्रसाद के अनुसार जिन परिस्थितियों में इल्तुतमिश ने दिल्ली सल्तनत को स्थायित्व प्रदान किया तथा उसे एक सशक्त साम्राज्य के रूप में स्थापित किया। उसी के आधार पर उसे दिल्ली सल्तनत का वास्तविक संस्थापक कहा जाता है।
  • इल्तुतमिश सुलतान-ए-आजम उपाधि व दिल्ली को राजधानी बनाने वाला प्रथम शासक था। इससे पूर्व राजधानी लाहौर थी।


दिल्ली का इतिहास | History of Delhi

  • दिल्ली का उल्लेख सर्वप्रथम महाभारत काल में मिलता है, क्योंकि पांडवों ने जिस “इन्द्रप्रस्थ नगर” की स्थापना की थी, उसकी पहचान वर्तमान दिल्ली के रूप में ही की जाती है। इसके पश्चात् दिल्ली पर मौर्या, गुप्त, पाल वंशों के शासकों ने शासन किया।
  • दिल्ली नगर की स्थापना ग्यारहवीं शताब्दी में तोमर वंश के राजपूत शासक द्वारा की गयी और बाद में पृथ्वी राज चौहान ने दिल्ली पर शासन किया।
  • 1192 ईस्वी में तराईन की दूसरी लड़ाई में मुहम्मद गोरी से पृथ्वी राज चौहान के पराजित हो जाने पर दिल्ली मुस्लिम शासकों के नियंत्रण में आ गयी और आगामी 600 वर्षों तक उनके अधीन रही।
  • 1857 ईस्वी के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के समय अंग्रेजों ने दिल्ली के मुग़ल बादशाह बहादुर शाह जफ़र को सत्ता से हटाकर अपने साम्राज्य में मिला लिया।
  • 1911 ईस्वी में ब्रिटिश साम्राज्य की राजधानी कोलकाता से हटाकर दिल्ली लायी गयी तथा स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद इसे ही भारत संघ की राजधानी बनाया गया।
  • 1 नवम्बर 1956 कको दिल्ली को केंद्र शासित क्षेत्र घोषित किया गया।
  • दिसम्बर 1991 में संसद ने 69वां संविधान संशोधन करके दिल्ली को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र घोषित किया गया था।
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दिल्ली का ऐतिहासिक विवरण

 

स्थापना           
नाम
शासक
वर्तमान स्थिति
800 ईसा पूर्व
इन्द्रप्रस्थ
युधिष्ठिर
पुराना किला व प्रगति मैदान
100 ईसा पूर्व
ढिल्लिका
राजा दिल्लू
महरौली
1024 ईस्वी
लालकोट
अनंगपाल तोमर
संजय वन (महरौली व जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय)
1170 ईस्वी
किला रायपिथौरा
पृथ्वीराज चौहान
लाडोसराय, साकेत और महरौली
1288 ईस्वी
किलु गढ़
मोइजुद्दीन कैकुकाबाद
आश्रम व महारानी बाग़
1302 ईस्वी
सिरी किला
अलाउद्दीन खिलजी
सिरी फोर्ट व शाहपुर
1320 ईस्वी
तुगलकाबाद
गियासुद्दीन तुगलक
बदरपुर के निकल
1334 ईस्वी
जहापनाह
मुहम्मद बिन तुगलक
सिरी, महरौली व तुगलकाबाद के बीच
1351 ईस्वी
फिरोजाबाद
फिरोजशाह तुगलक
प्रगति मैदान से शाहजहाँनाबाद तक
1451 ईस्वी
खिज्राबाद
खिज्र खां
न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी के निकल
1433 ईस्वी
मुबारकाबाद
मुबारक शाह
कोटला मुबारकपुर
1530 ईस्वी
दीनपनाह
हुमायूँ
प्रगति मैदान से निजामुद्दीन तक
1542 ईस्वी
दिल्ली-शेर-शाही
शेर शाह शूरी
पुराना किला से फिरोजशाह कोटला तक
1648 ईस्वी
शाहजहाँनाबाद
शाहजहाँ
पुरानी दिल्ली (लालकिला)
1911 ईस्वी
नई दिल्ली
सर एडवर्ड लुटियन
रायसीना पहाड़ी व पुराना किला क्षेत्र


ढिल्ली से दिल्ली

  • देश की राजधानी पहले कोलकाता थी। 12 दिसम्बर 1911 में दिल्ली में राजधानी बनाने की घोषणा जॉर्ज पंचम के द्वारा की गई थी।
  • उसके बाद एडविन लुटियन और हरबर्ट बेकर की देखरेख में नई राजधानी की रूप रेखा बनाई गयी। उन्होंने इंडिया गेट, राष्ट्रपति भवन को आकार दिया। गौरतलब है कि दिल्ली का इतिहास 3000 वर्ष से भी ज्यादा पुराना है।
  • नई देलही शब्द का प्रयोग प्रथम बार 1916 में किया गया था।
  • शहर का उद्घाटन 13 फरवरी 1931 को गर्वनर जनरल लार्ड इरविन ने किया था।
  • नई दिल्ली नाम से निकला न्यू देलही तोमर राजा अनंगपाल ने ग्यारहवीं सदी में अपने साम्राज्य को स्थापित करने के लिए किसी किवदंती के अंतर्गत लालकोट में एक लोहे की कील भूमि में लगवाई थी।
  • ईसा पूर्व 1000 पहले मौर्या वंश के राजा दिल्लू ने शहर का पुनर्निमाण किया और उसी के न आम पर दिल्ली को इसका वर्तमान नाम प्राप्त हुआ था।
  • ढिल्ली शब्द लालकोट क्षेत्र में बसे शहर का नाम पड़ गया जो बाद में दिल्ली में परिवर्तित हो गया।
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हिन्दू काल : 3 दिल्लियाँ
  1. इन्द्रप्रस्थ : पांडवों की दिल्ली
  2. अनंगपुर या अड़गपुर : अनंगपाल की दिल्ली
  3. राय पिथौरा : पृथ्वीराज चौहान की दिल्ली

 

मुस्लिम काल : 12 दिल्लियाँ
  1. किलाराय पिथौरा : गुलाम बादशाहों की दिल्ली (महरौली)
  2. किलोखड़ी : कैकुबाद की दिल्ली
  3. सीरी : अलाउद्दीन खिलजी की दिल्ली
  4. तुगलकाबाद : गयासुद्दीन तुगलक की दिल्ली
  5. जहाँपनाह : मुहम्मद आदिलशाह की दिल्ली
  6. फिरोजाबाद : फिरोज तुगलक की दिल्ली
  7. खिज्राबाद : खिज्र खां की दिल्ली
  8. मुबारकबाद : मुबारक शाह की दिल्ली
  9. दीनपनाह : हुमायूँ की दिल्ली
  10. शेरगढ़ : शेरशाह सूरी की दिल्ली
  11. सलीमगढ़ : सलीमशाह सूरी की दिल्ली
  12. शाहजहानाबाद : शाहजहाँ की दिल्ली

 

ब्रिटिश काल की : 3 दिल्लियाँ
  1. सिविलि लाइन्स
  2. लुटियंस की दिल्ली
  3. नई दिल्ली

 

 

दिल्ली सल्तनत

1206 ईस्वी से लेकर 1526 ईस्वी तक के कुल 320 वर्षों तक दिल्ली पर मुस्लिम सुल्तानों का शासन रहा।

गुलाम वंश (1206 ईस्वी – 1290 ईस्वी)

 

वंश नामकरण
दिल्ली पर शासन करने वाले सुल्तान तीन अलग-अलग वंशों के थे। कुतुबुद्दीन ऐबक ने कुतबी, इल्तुतमिश ने शम्सी और बलबन ने बलबनी वंश की स्थापना की थी। आरंभ में इसे दास वंश का नाम दिया गया क्योंकि इस वंश का प्रथम शासक कुतुबुद्दीन ऐबक दास था।
  • इल्तुतमिश और बलबन भी दास थे किन्तु इस शब्द को मान्यता नहीं मिली क्योंकि इस वंश के ग्यारह शासकों में केवल तीन शासक
  1. ऐबक
  2. इल्तुतमिश
  3. बलबन
ही दास थे तथा सत्ता ग्रहण करने पूर्व इन्हें दासता से मुक्त कर दिया गया था।
  • कुछ इतिहासकारों ने इल्बरी वंश का नाम भी दिया है परन्तु यह शब्द उचित नहीं माना गया क्योंकि सभी शासक इल्बारी जाती से सम्बंधित नहीं थे।ऐबक इल्बारी तुर्क नहीं था। बलबन स्वयं को इल्बारी तुर्क कहता था लेकिन उसके दरबारी इतिहासकार मिनहाजुद्दीन सिराज के तथ्य से यह सिद्ध नहीं होता है।
  • अजीज अहमद ने इन शासकों के लिए दिल्ली के आरंभिक तुर्क शासकों का नाम दिया है। क्योंकि उनके अनुसार इन शासकों के लिए वंश शब्द का प्रयोग अनुचित रहेगा।
  • कुछ इतिहासकारों ने इन्हें संक्षेप में आदि तुर्क भी कहा है। अंततः हबीबुल्लाह द्वारा प्रस्तावित नाम मामलुक शासक ही सर्वाधिक मान्य है।

मामलुक अरबी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ गुलामी के बंधन से मुक्त माता – पिताओं से उत्पन्न वंशों से है। इस प्रकार 1206-1290 ईस्वी तक के भारत पर शासन करने वाले शासकों को मामलुक नाम से संबोधित किया जाता है। मामलुक वंश के कुल 11 शासकों ने 84 वर्षों तक शासन किया।

 

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