इतिहास के आरम्भिक काल को निम्नलिखित में से क्या कहा जाता है? (MTS T-1, 2017)
- पुरापाषाण काल
- नवपाषाण काल
- मध्यपाषाण काल
- लघुपाषाण काल
उत्तर – पुरापाषाण काल
जिस काल का कोई साक्ष्य नहीं मिलता उसे प्रागैतिहासिक काल कहते हैं। प्रागैतिहासिक काल के अन्तर्गत पाषाणकालीन सभ्यता आती हैं। उपकरणों की भिन्नता के आधार पर सम्पूर्ण पाषाणयुगीन संस्कृति को तीन मुख्य चरणों में विभाजित किया गया है। ये हैं – पुरापाषाण काल, मध्यपाषाण काल और नवपाषाण काल।
भीमबेटका गुफा किस राज्य में है? (SSC Steno 2017)
- तेलंगाना
- कर्नाटक
- मध्य प्रदेश
- गुजरात
उत्तर – मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश की भीमबेटका गुफाएँ भोपाल से 45 किलोमीटर दक्षिण में स्थित हैं। यह प्रागैतिहासिक कला का प्रहरी होने के साथ-साथ ही भारतीय स्थापत्य कला का भी अनुपम खजाना है।
किस काल में पत्थर के औजार सबसे पहले पाये गये थे?
- नवपाषाण काल
- पुरापाषाण काल
- मध्यपाषाण काल
- लघुपाषाण काल
उत्तर – पुरापाषाण काल
उपकरणों की भिन्नता के आधार पर पुरापाषाण काल को तीन कालों में विभाजित किया गया है।
- पूर्व पुरापाषाण काल – कोड उपकरण (हस्तकुठार खंडक विदारिणी)
- मध्य पुरापाषाण काल – फलक उपकरण
- उच्च पुरापाषाण काल – तक्षिणी एवं खुरचनी उपकरण।
अतः स्पष्ट है कि प्रश्न में पत्थर के औजार के संदर्भ में पूछा गया है, जो सर्वप्रथम पुरापाषाण काल में ही प्रदर्शित होता है।
सिंधू घाटी सभ्यता के शहरों की गलियां थीं-
- चौड़ी और सीधी
- तंग और सीधी
- चौड़ी और घुमावदार
- तंग और घुमावदार
सिंधू घाटी सभ्यता में शहरों की गलियाँ चौड़ी और सीधी होती थीं। यहां की सड़कें पूरब से पश्चिम एवं उत्तर से दक्षिण की ओर जाती हुई एक दूसरे को समकोण पर काटती थी
निम्नलिखित में से कौन सी सभ्यता अपने नगर नियोजन के लिए प्रसिद्ध है
- सिंधु घाटी सभ्यता
- मेसोपोटामिया की सभ्यता
- पारस सभ्यता
- मिस्र की सभ्यता
उत्तर – सिंधु घाटी सभ्यता
सिंधु घाटी सभ्यता की प्रमुख विशेषता नगर नियोजन को माना जाता है। हड़प्पा नामक पुरास्थल सर्वप्रथम ज्ञात होने के कारण इसको हड़प्पा सभ्यता के नाम से भी जाना जाता है।
हड़प्पा और मोहनजोदड़ो के खंडहर निम्नांकित में से किस नदी के स्थान पर पाए जाते हैं
- रावी
- व्यास
- झेलम
- सतलज
हड़प्पा रावी नदी के किनारे जबकि मोहन जोदड़ो सिंधु नदी के किनारे पर अवस्थित है।
सिंधु घाटी सभ्यता के निम्नलिखित स्थानों में से कौन सा स्थान सिंधु नदी के किनारे पर स्थित है
- लोथल
- मोहनजोदड़ो
- कालीबंगा
- हड़प्पा
मोहनजोदड़ो के ध्वंस हाउसेस पाकिस्तान के सिंध प्रांत के लरकाना जिले में सिंधु नदी के दाहिनी तट पर स्थित है यहां लगभग प्रत्येक घर में निजी हुए एवं स्नानागार होते थे और पानी के लिए नालियों की व्यवस्था थी अनेक घरों में शौचालय भी बने हुए थे
सिंधु घाटी सभ्यता की लिपि कौन सी है
- तमिल
- खरोष्ठी
- ब्राह्मी
- इनमें से कोई नहीं
सिंधु घाटी सभ्यता में लगभग 64 मूलचंद 250 से 400 तक अक्षर हैं जो सेलखड़ी की आयताकार मोहरों तांबे की गोटेगांव आदि पर मिलते हैं यह लिपि चित्रात्मक थी यह लिपि अभी तक पढ़ी नहीं जा सकती है।
मोहनजोदड़ो का स्थानीय नाम क्या था
- रेगिस्तान का टीला
- जीवन का टीला
- मृतकों का टीला
- जंगल
मोहनजोदड़ो जिसका सिंधी भाषा में अर्थ मृतकों का टीला होता है इसकी खोज सर्वप्रथम 1922 ईस्वी में राखल दास बनर्जी ने की तथा इसके पुरातात्विक महत्व को ध्यान में लाया।
मोहनजोदड़ो में सबसे बड़ा भवन कौन सा है
- विशाल स्नानागार
- धान्यागर
- स्तंभ हाल
- दो मंजिला मकान
उत्तर – धान्यागर
मोहनजोदड़ो का धान्यागर 45.72 मीटर लंबा तथा 22.86 मीटर चौड़ा था जो कि वहां का सबसे बड़ा भवन था मोहनजोदड़ो के विशाल स्नानागार की उत्तर से दक्षिण की ओर लंबाई 11.88 मीटर तथा पूर्व से पश्चिम की ओर चौड़ाई 7.01 मीटर थी।
विशाल स्नानागार ग्रेट बाथ कहां पर मिला था
- हड़प्पा
- लोथल
- चन्हूदरो
- मोहनजोदड़ो
उत्तर – मोहनजोदड़ो
सिंधु घाटी के लोगों की एक महत्वपूर्ण रचना निम्नलिखित में से किस की मूर्ति थी?
- नटराज
- नृत्य करती हुई बालिका
- भगवान बुद्ध
- नरसिंभा
उत्तर – नृत्य करती हुई बालिका
सिंधु घाटी के लोगों की एक महत्वपूर्ण रचना नृत्य करती हुई बालिका की मूर्ति है जो कि कांसा निर्मित है यह मूर्ति मोहनजोदड़ो से प्राप्त हुई है।
देवी माता की पूजा किससे संबंधित थी
- आर्य सभ्यता के साथ
- भूमध्यसागरीय सभ्यता के साथ
- सिंधु घाटी सभ्यता के साथ
- उत्तर वैदिक सभ्यता के साथ
उत्तर – सिंधु घाटी सभ्यता के साथ
देवी माता या मात्र देवी की पूजा सिंधु घाटी सभ्यता से संबंधित पुरातात्विक साक्ष्यों से प्राप्त मातृ देवी की मूर्तियों से इस बात का ज्ञान होता है।
सिंधु घाटी सभ्यता का पत्तन नगर अर्थात बंदरगाह कौन सा है
- कालीबंगा
- लोथल
- रोपण मोहनजोदड़ो
लोथल अहमदाबाद जिले के भोग व नदी के किनारे पर स्थित है वर्ष 1955 तथा 1962 के मध्य यहां एसआर राव के निर्देशन में खुदाई की गई जहां 2 मील के घेरे में बसे हुए एक नगर के अवशेष प्राप्त हुए यहां की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि पक्की ईंटों का बना हुआ विशाल आकार का एक घेरा है जिसे राव महोदय ने जहाजों की गोदी बताया है। इस प्रकार लोथल एक पत्थर नगर था लोथल में दो भिन्न-भिन्न नट्टीले नहीं मिलते हैं बल्कि पूरी की पूरी बस्ती एक ही दीवार से घिरी थी।