18 वीं सदी में स्वतंत्र राज्य : हैदराबाद

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18 वीं सदी में जब मुगल साम्राज्य का पतन हो रहा था तभी हैदराबाद के साथ-साथ अवध, बंगाल, कर्नाटक, मैसूर, रुहेलखंड, मराठा, फर्रुखाबाद, जाट, पंजाब आदि क्षेत्रों में नव स्वतंत्र राज्यों की स्थापना हुई।

हैदराबाद

  • हैदराबाद स्वतंत्र राज्य की स्थापना निजाम उल मुल्क उर्फ चिनकिलिच खान ने किया था।
  • चिनकिलिच खान का वास्तविक नाम मीर कमरुद्दीन था।
  • इसे औरंगजेब ने चिनकिलिच खान नाम दिया था जबकि 1713 में फर्रूखसियर ने निजाम उल मुल्क की उपाधि देने के साथ ही दक्कन का सूबेदार भी बना दिया।
  • निजाम उल मुल्क ने 1722 में सैयद बंधुओं की हत्या में प्रमुख भूमिका निभाई थी जिसके बाद मोहम्मद शाह रंगीला ने इसे अपना वजीर बनाया एवं आसफजाह की उपाधि भी दी।
मीर कमरुद्दीन – इसे कुल 3 नामों से जाना जाता है
  1. चिनकिलिच खान
  2. निजाम उल मुल्क
  3. आसफजाह
सैयद बंधु हिंदुस्तानी मूल के थे

 

  •  1724 में दरबारी षड्यंत्र को देखते हुए निजाम उल मुल्क दक्षिण वापस चला गया और 1724 में शुकर खेड़ा के युद्ध में मुबारिज खान (मुगल सेनापति) को हराकर हैदराबाद में स्वतंत्र राज्य की स्थापना कर ली।
इसे ढक्कन का वायसराय भी कहा जाता है।
  • 1728 में पालखेड के युद्ध में एवं 1737 के भोपाल युद्ध में मराठा पेशवा बाजीराव प्रथम ने निजाम उल मुल्क को हराया था।
  • 1739 के करनाल युद्ध में समझौता करवाने के लिए इसे मोहम्मद शाह रंगीला ने बुलाया था।
  • 1748 में मीर कमरुद्दीन उर्फ निजाम उल मुल्क उर्फ आसफजाह की मृत्यु हो जाती है।

इसकी मृत्यु के बाद क्रमशः

नासिर जंग
मुजफ्फर जंग
सालारजंग (इस का मकबरा हैदराबाद में है)
निजाम अली
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और अंत में उस्मान अली (जो की स्वतंत्रता के समय) निजाम थे।

 

  • 1798 में सर्वप्रथम निजाम अली के साथ अंग्रेजों ने सहायक संधि की थी।
  • इतिहासकार सिडनी ओवन के अनुसार निजाम उल मुल्क एक चालाक अवसरवादी इंसान था जो कमजोर होते हुए मुगल साम्राज्य को देखकर नौका पर सवार होकर स्वयं को बचा लिया।
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