भारत में यूरोपीय कंपनियों का आगमन (History For SSC Exam)

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पुर्तगाली

  • 1487 में बर्थोलोमियो डियाज उत्तमाशा अंतरीप तक पहुंचकर वापस लौट गया। उत्तमाशा अंतरीप की खोज भी इसी ने की थी।
  • 1492 में कोलंबस (इटली का मूल निवासी) स्पेन द्वारा प्रायोजित यात्रा के तहत भारत के बजे वेस्टइंडीज पहुँच गया।
  • मई 1498 में वास्कोडिगामा अब्दुल मानिद नमक गुजराती की मदद से साओग्रोबियल नमक जहाज से उत्तमाशा अंतरीप (Cape of good hope) होते हुए कालीकट बंदरगाह पर पहुंचा, जहाँ पर उसका स्वागत वहां के राजा जमोरियन ने किया।
  • वास्कोडिगामा को यूरोप व् एशिया को समुद्री मार्ग से जोड़ने का श्रेय दिया जाता है।
  • वास्कोडिगामा भारत से जो व्यापारिक वास्तु ले गया था उसका उसे साठ गुना अधिक मुनाफा प्राप्त हुआ।
  • 1500 में तेरह जहाजों के बेड़े के साथ पेद्रो-अल्ब्रेज क्रेबल भारत आया, इसके बाद 1502 में  दूसरी बार वास्कोडिगामा भारत आया।
  • 1503 में अलबुकर्क भारत आया और कोचीन में प्रथम पुर्तगाली कारखाने की स्थापना की।
  • पुर्तगाली आरंभ में मसालों के व्यापर तक ही सीमित थे किन्तु जल्द ही पूर्वी देशो के समस्त व्यापारिक वास्तु पर नियंत्रण स्थापित करने का प्रयास किया, फलस्वरूप नीतियों में परिवर्तन हुआ और गवर्नर की भर्ती प्रारंभ हुई।

1. डी-अल्मीडा (1505-1509)

इसने हिन्द महासागर क्षेत्र में एक पुर्तगाली साम्राज्य (एस्तादो-द-इंडिया) स्थापित करने हेतु ब्लू वाटर पालिसी (शांत जल की नीति) अपनाई।

2. अल्फ़ान्सो-डी-अलबुकर्क (1509-1515)

इसे भारत में पुर्तगाली राज्य की नींव रखने का श्रेय जाता है। 1510 में इसने बीजापुर के शासक युसूफ आदिल शाह से गोवा छीन लिया था।
इसी ने पुर्तगालियों को भारतीय महिलाओं से विवाह करने के लिए प्रेरित किया था।
1515 में इसकी मृत्यु हो गयी थी, इसका समय में भारत का शासक कृष्ण देव राय थे।

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