कामागाटामारु एक जापानी जहाज था, जिसे पंजाब के गुरुदत्त सिंह ने मार्च 1914 ईस्वी में हांगकांग के एक जर्मन शिपिंग एजेंट मिस्टर बूने के द्वारा किराये पर लिया था। ये 1911 ईस्वी में हांगकांग पहुंचे जहां पर उस समय 150 सिख थे। वे सभी सिख कनाडा जाना चाहते थे लेकिन कनाडा सरकार ने उन सभी भारतीयों पर कनाडा में प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया था जो भारत से सीधे कनाडा न आए हों।
1913 में कनाडा के उच्चतम न्यायालय ने अपने एक निर्णय के अंतर्गत ऐसे 35 भारतीयों को देश के भीतर प्रवेश का आदेश दे दिया जो सीधे भारत से नहीं आए थे।
Kamagatamaru Prakaran Kya Tha? | कामागाटामारु प्रकरण क्या था?| कामागाटामारू प्रकरण क्या है
इस निर्णय से उत्साहित होकर गुरुदत्त सिंह ने कामागाटामारु नामक जहाज किराये पर लेकर 376 यात्रियों को हांगकांग से बैंकूवर (कनाडा) के लिए भेजा गया था। 2 भारतीय क्रांतिकारियों भगवान सिंह एवं रामचंद्र ने जहाज में जोशीला भाषण देकर यात्रियों को भारत में ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध विद्रोह करने को कहा था।
23 मई 1914 ईस्वी को जहाज बैंकूवर पहुँचा लेकिन कनाडा के अधिकारियों ने जहाज से उतरने की अनुमति नहीं दी थी। कनाडा में यत्रयों के अधिकारों से लड़ने हेतु हुसैन रहीम, सोहनलाल पाठक और बलवंत सिंह के नेतृत्व में शोर कमेटी (तटीय कमेटी) गठित की हुई थी।
अमेरिका में भगवान सिंह, बरकतुल्ला, रामचन्द्र एवं सोहन सिंह के नेतृत्व में यह आंदोलन चलाया गया। कनाडा सरकार ने इस जहाज को अपनी सीमा से बाहर कर दिया।
भारत की ब्रिटिश सरकार ने जहाज को सीधे कलकत्ता लाने का आदेश दिया। जहाज के बजबज (कलकत्ता) में पहुँचने पर यात्रियों एवं पुलिस के मध्य विवाद हुआ जिसमें 18 यात्री मारे गए और शेष 202 यात्रियों को जेल में भेज दिया।